अधिकांश सेक्स संबंधी समस्याएं मनोवैज्ञानिक, जिसे साइकोलॉजिकल कहते हैं, कारणों से होती है। किंतु कुछ रोगों का कारण शारीरिक भी हो सकता है। यदि सेक्स संबंधी समस्याओं के लक्षणों की मनोचिकित्सक या चिकित्सा मनोवेज्ञानिक द्वारा भलीभाँति जांच की जाए तो उस समस्या के बारे में जानने में काफ़ी मदद हो सकती है व किसी निष्कर्ष पर पहुंचना आसान हो जाता है, जिससे रोगी के इलाज में काफी सहायता मिलती है।
यौन रोग के प्रकार
सेक्स रोग प्रमुखता चार प्रकारों में बांटे जाते हैं।
- सेक्शुअल डिज़ाइरड डिसोर्डर जिसमे व्यक्ती में सेक्स के प्रति अनिच्छा या फिर इच्छा का क्षीण होना देखा जाता है।।
- सेक्शुअल अराउजल डिसऑर्ड जिसमें पुरुषों में सेक्स संबंध बनाने के पहले जननांगों में पर्याप्त कड़ापन नहीं आता व नसों में ढीलापन रहता है, और पूर्ण उत्तेजित अवस्था को प्राप्त करना लगभग असंभव हो जाता है। ऐसे ही स्त्रियों में भी सेक्शुअल अराउजल डिसऑर्डर देखने को मिल सकता है, जिसमें उनकी सेक्स के प्रति पूर्णतः या आंशिक उत्तेजना भी नहीं आ पाती।
- सेक्शुअल परफॉर्मेंस डिसोर्डर सेक्शुअल परफॉर्मेंस डिसॉर्डर में कुछ परेशानियां आती हैं जैसे , प्रीमच्योर इजेकुलेशन या शीघ्रपतन , जिसमें या तो सेक्स की ऐक्टिविटी के पहले या सेक्स की ऐक्टिविटी या सेक्शुअल कॉन्टैक्ट शुरू होते ही वीर्यपात हो जाता है और मरीज़ अपनी पत्नी को पूर्णतः संभोग का सुख नहीं दे पाता।
- सेक्शुअल पेन डिसोर्डर इसमें वे सभी अवस्थाएं आती हैं जिनमें कि सेक्स की प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार का दर्द या असहजता के लक्षण दिखाई देते हैं, जो कि पुरुष या स्त्री किसी में भी हो सकते हैं।
प्रायः देखने में आया है कि पुरुषों में शीघ्रपतन बाकी प्रकारों में से सबसे ज्यादा देखा गया है इसमें पुरुष में उत्तेजना आने के बाद जल्द ही वीर्यस्खलन हो जाता है। रोगी अपने साथी को पूर्ण रुप से संतुष्ट नहीं कर पाता व उसकी इच्छा से पहले ही वीर्यपात हो जाता है। शीघ्रपतन की समस्या पढ़े लिखे लोगों में अधिक पाई जाती है ऐसा शायद उनमें अपने साथी को संतुष्ट करने की चिंता के कारण होता है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि लगभग 30% पुरुषों में यह समस्या पाई जाती है। शीघ्रपतन के मुख्य मानसिक कारण है
सेक्स क्रिया के प्रति चिंता या डर? किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा देख लेने या उसको पता लगाने का डर, वीर स्खलन शीघ्र होने का डर जिसको परफॉर्मेंस एंजाइटी भी कहा जाता है। इसके कारण दाम्पत्य जीवन तनावपूर्ण हो सकता है।
इंपोटेंस या नपुंसकता। सेक्स रोगों में यह समस्या भी बहुतायत में देखी जाती है। इसके कारण व्यक्ति अत्यधिक परेशानी व मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है। नपुंसकता किसी पुरुष द्वारा सेक्स की क्रिया को करने में असफल रहने की अवस्था को कहते हैं। अधिकतर लोगों में यह मानसिक कारणों से ही होती है कुछ लोगो में किसी शारीरिक रोग के कारण भी नपुंसकता हो सकती है। जैसे कि डायबिटीज़, मधुमेह , सिफलिस, हार्मोन संबंधी रोग, शराब या किसी प्रकार का अन्य नशा, हृदय रोग ,गुप्तांग की चोट आदि। नपुंसकता के मानसिक कारण, जैसे घबराहट, चिंता, उदासी व मानसिक तनाव, सही ढंग से संभोग न कर पाने का डर, सैक्स के बारे में विभिन्न भ्रांतियां, पत्नी से मनमुटाव, पत्नी की संभोग मैं अरुचि आदि कारण प्रायः देखे गए हैं।
सेक्स संबंधी भ्रांतियां।
यूँ तो देखा गया है कि हमारे देश में सेक्स की प्रक्रिया को लेकर कई तरह की भ्रांतियां व्याप्त हैं किंतु, प्रमुखता से जो पाई जाती हैं उनमें सबसे ज्यादा पाया जाने वाला,
- “धातु रोग” है, जिसे अंग्रेज़ी में धात सिंड्रोम भी कहते हैं। अक्सर कुछ लोग पेशाब के साथ किसी सफेद पदार्थ के आने की शिकायत करते हैं। जिससे वे वीर्य समझते हैं परंतु यह वीर्य नहीं होता। सामान्यतया, पेशाब अम्लीय होता है, परन्तु जब यह अधिक क्षारीय हो जाता है तो पेशाब में कुछ रासायनिक क्रियाओं से यह सफेद पदार्थ बनने लगता है और पेशाब के साथ बाहर आने लगता है, इसलिए इसको वीर्य नहीं समझना चाहिए।
- कुछ लोग वीर्य का गाढ़ा पतला होने की शिकायत करते हैं और समझते हैं कि पतला वीर्य अच्छा नहीं होता, परंतु यह बात सही नहीं, क्योंकि संतान उत्पत्ति वीर्य में मौजूद शुक्राणुओं से होती है। वीर्य केवल शुक्राणुओं को ले जाने का माध्यम भर है।
- पुरुषों में लिंग का लंबा, छोटा, मोटा या पतला होने की भी लोगों में भ्रांति पाई जाती है, जो कि सही नहीं है। क्योंकि स्त्री की योनि का केवल बाहरी भाग जो कि करीब करीब डेढ़ इंच ही होता है ही सबसे अधिक संवेदनशील होता है। साथ ही संभोग का आनंद मस्तिष्क से अनुभव किया जाता है,ना कि सेक्स की क्रिया मात्र से।