इस उन्माद रोग में रोगी अत्यधिक प्रसन्न दिखाई देता है। अधिक बोलता है, बड़ी बड़ी बातें करता है। और उस की अन्य गतिविधियाँ भी असामान्य रूप से बढ़ जाती है।
यह रोग दो प्रकार का हो सकता है ये रोग बिना डिप्रेशन के जिसको यूनीपोलर भी कहते हैं, या इसके साथ साथ बाइपोलर भी हो सकता है यूनिपोलर मेनीया मैं सिर्फ उन्मत्तता के ही लक्षण दिखाई देते हैं, जबकि बाइपोलर रोग में उदासी व उन्मत्तता कुछ कुछ समय पर एक के बाद एक होते रहते हैं। यह रोग उदासी के रोग के इलाज के दौरान भी उत्पन्न हो सकता है, कुछ दवाएँ जैसे:- एमफिटामाइन, कॉर्टिकोस्टेरॉइड, एवं आईएनएच (टी बी की दवा)के सेवन से भी हो सकता है। थायरॉयड ग्रंथि या मस्तिष्क के अन्य रोगों में भी। इस रोग के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
उन्मत्ताता अथवा मेनिया रोग के क्या लक्षण हैं?
मुख्यतः इसके सात लक्षण होते हैं जो कि इस प्रकार है।
मन संबंधी लक्षण : आरंभ में रोगी का मन बहुत खुश होता है। वह सभी कार्य करने में आनंद लेता है, चुस्ती फुर्ती से कार्य करता है। बाद में अन्य लक्षण जैसे अत्यधिक प्रसन्न होना, शरारतें या छेड़छाड़ करना, गुस्सा करना, विरोध करना, अपनी बात मनवाना, डींगे हांकना, व जोश आना आदि दिखाई देने लगते हैं
2:- विचारों से संबंधित लक्षण : नए नए विचार असामान्य रूप से आने लगते हैं, जिससे रोगी की बातें वास्तविकता से परे दिखाई देती है। रोगी किसी विचार या बात पर अधिक देर तक नहीं टिक पाता। वह एक से दूसरे विषय की तरफ बदलता रहता है। वह गाने या भजन आदि में विशेष रुचि लेता है। कभी कभी रोगी इतना अधिक व बिना समझ के बोलता है कि उसकी बातों का कुछ भी मतलब नहीं निकलता।
3:- गतिविधियों में बदलाव : रोगी कहने लगता है कि उसने पहले कभी इतना खुश या ताकतवर महसूस नहीं किया। सभी काम वह खुद स्फूर्ति से करता है और थकान भी महसूस नहीं करता। बाद में वह अव्यवस्थित ढंग से काम करने लगता है, जिससे उसके व्यवसाय व सामाजिक जीवन पर कुप्रभाव पड़ता है।
4:- नींद में बदलाव : रोगी को नींद बहुत कम आती है। पूरे दिन में एक घंटा या इससे भी कम नींद आती है। 5: भूख में बदलाव। आमतौर पर रोगी की भूख अधिक हो जाती है और रोगी जल्दी जल्दी खाता है। कई बार पूरा ना खाने के कारण या अधिक बोलने व काम करने से वजन कम भी हो जाता है।
5:- भूख में बदलाव : आमतौर पर रोगी की भूख अधिक हो जाती है और रोगी जल्दी जल्दी खाता है। कई बार पूरा ना खाने के कारण या अधिक बोलने व काम करने से वजन कम भी हो जाता है।
6:- संभोग में रुचि : रोगी की संभोग में रुचि बढ़ जाती है, व संकोच कम हो जाता है। जिससे कई बार सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
7:-व्यव्हार में परिवर्तन :जैसे कि ज्यादा मिलनसार होना, बार बार फ़ोन इत्यादि करना, अजनबियों से बात करना, अत्यधिक पैसा खर्च करना बन ठन कर रहना, महंगे कपड़े, काफी सारा गैर जरूरी सामान खरीदना, इत्यादि हो सकता है।
कभी कभी मेनिया रोग में विभ्रम जिसको हमने सिज़ोफ्रेनिया में डिल्यूजन भी कहा है, की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। इसके अलावा मतिभ्रम जिसे हैलुसीनेशन भी कहते है उसके लक्षण भी दिखाई पड़ सकते हैं।