यह रोग स्त्रियों में अधिक पाया जाता है। रोगी में किसी व्यक्तिगत उद्देश्य की प्राप्ति के लिए, जो रोगी को चेतन स्तर पर पूरी तरह मालूम नहीं होता, उसके कारण कुछ शारीरिक लक्षण, उत्पन्न होने की बिमारी है। इन लक्षणों को संयुक्त रूप से हिस्टीरिया कहा जाता है।
कारण:- व्यक्ति के वातावरण में होने वाली घटनाओं का हिस्टीरिया के लक्षण उत्पन्न होने में अधिक योगदान होता है। भावनात्मक असुरक्षा व आत्मविश्वास की कमी से व्यक्ति व्यवहारिक समस्याओं का सामना व मुकाबला करने में कमजोर हो जाता है, जिससे उसमें हिस्टीरिया रोग के लक्षण उत्पन्न होने के अवसर बढ़ जाते हैं।
हिस्टीरिया के प्रकार व उनके लक्षण:-
1:-शारीरिक लक्षण उत्पन्न होना : जिसको कन्वर्जन डिसऑर्डर भी कहा जाता है इसमें मानसिक परेशानी या तनाव में होने से रोगी में कई प्रकार के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। जैसे की दिखाई ना देना या सुनाई न देना, एक या अधिक अंगों में लकवे के लक्षण हो जाना, शरीर के किसी अंग का सुन्न हो जाना, बोलना बंद हो जाना आदि। डॉक्टरी जांच में कोई भी शारीरिक बिमारी स्पष्ट रुप से दिखाई नहीं पड़ती। अक्सर रिश्तेदारों की उपस्थिति में ऐसे लक्षण बढ़ जाते हैं। तथा रोगी इसके ठीक विपरीत कतई चिंतित दिखाई नहीं देता है।
विशेष लक्षण:- : कई बार हिस्टीरिया की बिमारी में भी मरीज को मिर्गी जैसे दौरे पड़ते हैं, जिसमें रोगी के दांत जुड़ जाते हैं, वे बेहोश हो जाता है, कई बार वह दिखाता है जेसे उसकी याददाश्त खो गई हो। कई बार ऐसे भी दौरे पड़ते हैं, जिससे वह ऐसा व्यवहार करता है कि उसके अंदर कोई आत्मा प्रवेश कर गई हो। हिस्टीरिया के दौरे में मरीज को उसके असामान्य लक्षणों के रहते कभी कोई चोट वगैरह नहीं लगती। जबकि मिर्गी के दौरे में उसे अवश्य कहीं ना कहीं चोट लग जाती है, या लग सकती है, इसी से इन दोनों बीमारियों एक दूसरे से अलग किया जाता है।
इन दशाओं में रोगी को विशेषज्ञ चिकित्सक के पास ले जाकर उचित सलाह व इलाज कराना चाहिए।2:-मानसिक लक्षण उत्पन्न होना। : जिसे डिसोसिएटिव हिस्टीरिया भी कहा जाता है। इसमें रोगी को बेहोशी आना, दौरे पड़ना, दांत जोड़ना, भूलना या बहुव्यक्तित्व जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कई रोगियों में ऐसे दौरे पड़ते हैं जिससे वे ऐसा व्यवहार करते हैं की जैसे उनके अंदर कोई अन्य व्यक्ति प्रवेश कर गया है, या वह खुद न होकर कोई अन्य व्यक्ति हो गया है।
उदाहरण:- :प्रीति दसवीं कक्षा की छात्रा है। उसके किसी रिश्तेदार की शादी थी। घर के कुछ सदस्य शादी पर चले गए थे। प्रीति के मन में यह विचार बार बार उत्पन्न होने लगा कि मुझे अपने साथ क्यों नहीं लेकर गए? जबकि प्रीति शादी में जाना चाहती थी, लेकिन घरवालों ने शादी में ले जाने से इनकार कर दिया। वह काफी उदास हो गई और परेशान भी, उसका मानसिक तनाव इतना बढ़ गया कि उसके शरीर में निम्न लक्षण उत्पन्न हो गए। नींद ना आना, सुनाई न देना, आवाज़ ना निकलना, बेहोशी के दौरे पड़ना आदि। बाद में उसे मनोचिकित्सक की सलाह व इलाज से इस रोग से छुटकारा मिला।
उदाहरण:- :गीता की शादी कुछ दिन ही पूर्व हुई थी। वह बड़ी खुश थी, लेकिन ससुराल जाने के दो चार दिन के पश्चात उसे दौरे पड़ने लगे, कई डॉक्टरों से इलाज करवाया व कई जादू टोने भी करवाए गए लेकिन इनका कोई असर नहीं हुआ। बाद में मनोचिकित्सक की राय से उसके पति की जांच करवाई गई। जिस जांच से ज्ञात हुआ कि उसका पति सेक्स संबंधी रोग से पीड़ित था। उसके पति का इलाज करवाया गया और वह रोगमुक्त हो गया। अब वह दोनों अपना दांपत्य जीवन सुख पूर्ण व्यतीत कर रहे हैं।