सिर दर्द एक बहुत ही आम, परंतु जटिल रोग है। इसके अनेक कारण होते हैं। अधिकतर रोगियों में कारण मामूली होता है। परंतु कुछ रोगियों में सिर दर्द मस्तिष्क के किसी गंभीर रोग के कारण से होता है।
सिर दर्द के लक्षण।
सर्वेक्षण द्वारा हमें पता चलता है कि 90% व्यक्ति चार से छ: महीने में एक बार अवश्य सिर दर्द की शिकायत करते है। सिर दर्द एक ऐसा लक्षण हैं जो शारीरिक व मानसिक दोनों प्रकार के रोगियों में होता है।
सिरदर्द के प्रकार।
- आरोपित- जिसको हम रेफर्ड हेडेक भी कहते हैं। यह सर के विभिन्न अंगों की बीमारियों के कारण होता है। जैसे कि काला मोतिया, जो कि एक आँखों की बिमारी है, कुछ नाक के रोग जैसे कि साइनूसाइटिस, या दांत या कान में दर्द हो तो भी सिर दर्द होने लगता है।
- कपाली तंत्रिका शूल जिसको अंग्रेजी में क्रेनियल न्यूरैल्जिया भी कहा जाता है, दिमाग की नसों आदि के रोग, दिमागी बुखार, दिमाग की कोई भी नस फटने पर जिससे अचानक व अत्यधिक सिर दर्द होता है, यह क्रेनियल न्यूरेल्जिया की श्रेणी में आता है।
- माइग्रेन या अध-शीशी सिर के अंदर या बाहर की रक्त वाहिनियों के फैलने या सिकुड़ने से बहुत तेज सिरदर्द होता है, जैसे आधा सिर का दर्द होना, दर्द के बाद उल्टी आना। कई बार ज्यादा ब्लड प्रेशर की वजह से भी सिर दर्द हो सकता है,जो की अधशीषी जैसा ही होता है। सिर के भीतर रसौली गांठ अथवा ट्यूमर या खून जम जाने से भी सिरदर्द हो सकता है, जो कि आधे सिर में या पूरे सिर में भी महसूस हो सकता है।
- -तनाव जनित सिरदर्द: जिसको अंग्रेजी में टेंशन हेडेक भी कहते हैं। यह माथे पर या सिर के पिछले भाग में या फिर पूरे सर में हो सकता है। यह अक्सर सुबह उठते समय कम होता है, और जैसे जैसे दिन बीतता जाता है, यह बढ़ने लगता है। रोगी सिर को जकड़ा हुआ महसूस करता है। मानसिक तनाव जैसे डिप्रेशन, ऐंग्जाइटी, नींद की कमी, अत्याधिक तनाव आदि मानसिक रोगों में इस प्रकार का सिरदर्द देखा जाता है।
- सर की चोट के बाद होने वाला सिरदर्द- सर की चोट के इलाज के बाद भी कुछ रोगियों में आमतौर पर सिरदर्द रहता है। इसके अलावा मिर्गी के दौरे, चक्कर आना, शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी लगना, लकवा या अधरंग जैसा हो जाना या व्यवहार में बदलाव भी साथ में दिखाई पड़ सकते हैं।
- क्लस्टर हेडेक इस सिर के दर्द में किसी एक तरफ की आंख के चारों तरफ़ और आधे सिर में बहुत तीव्र दर्द होता है। इसको क्लस्टर हेडेक इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि ये पूरे साल ना हो कर कुछ महीनों तक ही सीमित रहता है। जैसे कि किसी व्यक्ति में जनवरी से लेकर मार्च तक तीन महीने सिर का दर्द होना, जिसमें दर्द के बाद आँखों के चारों तरफ लालिमा, सूजन या आँखों से पानी आना, इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।
सिर दर्द की जांच एवं इइलाज
रोगी से बातचीत करके, उसकी शारीरिक जांच करके, सिर दर्द के कारण का पता लगाया जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर सिर का एक्स- रे, आँखों की जांच, ब्रेन मैपिंग ईईजी, सीटी स्कैन व एमआरआइ स्कैन आदि जांचों के द्वारा इसके कारण का पता लगाया जा सकता है। अक्सर अधिकतर रोगियों में कोई शारीरिक रोग या कारण नहीं मिलता। अतः तनाव ही सिर दर्द का मुख्य कारण होता है। रोगी को किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ की मदद लेकर इस जटिल समस्या से छुटकारा दिलाया जा सकता है।