मिर्गी उस अवस्था को कहते हैं जब रोगी पर अपस्मार, चक्कर या ऐंठन का दौरा पड़ता है। वह उसकी जकड़ से मूर्छा जैसी अवस्था में आ जाता है। मिर्गी का दौरा दिमाग से शुरू होता है। मस्तिष्क हृदय की भाँति। विद्युतीय क्रिया से संचालित होता है। जब इस प्रक्रिया में, व्यक्तिक्रम होता है, मिर्गी का आक्रमण शुरू हो जाता है। इस तरह से हम कह सकते हैं के दिमाग में इलेक्ट्रिक इम्पल्स या विद्युतीय क्रिया के असमन्वय से यह स्थिति निर्मित होती है। मिर्गी का रोग आधे प्रतिशत जनसाधारण में पाया जाता है।
भ्रांतियां। मिर्गी रोग मस्तिष्क के उन रोगों में से है जिससे काफी लोग प्रभावित रहते हैं। फिर भी अधिकतर लोगों को इसकी पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। कुछ लोग इसे बाहरी भूत प्रेत के प्रकोप मानते हैं जो पूर्णतः गलत है।
मिर्गी के प्रकार।
मिर्गी के रोग को आमतौर पर दो भागों में बांटा गया है। जैसे की जिसको हम पार्शियल सीजर कहते हैं। इसका असर दिमाग के केवल एक हिस्से पर होता है। रोगी के शरीर में कुछ हिस्से में कंपन होता है, अधिकतर रोगी होश में रहते है।
- आंशिक मिर्गी जिसको हम पार्शियल सीजर कहते हैं। इसका असर दिमाग के केवल एक हिस्से पर होता है। रोगी के शरीर में कुछ हिस्से में कंपन होता है, अधिकतर रोगी होश में रहते है।
- सर्वव्यापी मिर्गी या जर्नलाइस्ड सीजर कहते हैं, इसकी शुरुआत अक्सर चीख के साथ होती है। रोगी अपनी चेतना खो बैठता है, रोगी बैठा या खड़ा हो तो गिरकर चोट खा सकता है। आंखें ऊपर की ओर घूम जाती है, जबड़ा कस जाता है, कभी कभी इसके बीच में जीभ के आ जाने से वह कट भी सकती है। पहले शरीर में अत्यधिक तनाव व ऐंठन होती है व फिर कंपन शुरू हो जाते हैं। इसके साथ कभी कभी मुँह से झाग या लार भी आती है। अक्सर सांस रुक रुक कर चलती है। सामान्य रूप से दौरा 2-4 मिनट में स्वत ही शांत हो जाता है। तत्पश्चात शरीर ढीला पड़ जाता है। रोगी इस अवस्था के दौरान कपड़ों में पेशाब भी कर सकता है। रोगी कुछ समय तक सुस्त रहता है, यह सो जाता है। चेतना आने पर सिर दर्द या उल्टी की शिकायत हो सकती है। कुछ समय व्यवहार थोड़ा सा भिन्न रहता है। कुछ रोगियों को दौरा आने से पूर्व आभास भी हो जाता है।
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मिर्गी रोग का कारण।: -
60-70 प्रतिशत मिर्गी के रोगियों में कोई स्पष्ट कारण नहीं मिलते हैं और इसे प्राइमरी या अकारण मिर्गी कहते हैं। बाकी 30-40 प्रतिशत रोगियों में, इसका कारण सिर की चोट लगने से, दिमाग की नस फटने से, या ट्यूमर (रसौली), आघात या दिमाग का इन्फेक्शन आदि हो सकते हैं। किसी भी अन्य करण से मस्तिष्क में होने वाली क्षति मिर्गी के दौरे का कारण हो सकती है।
मिर्गी के दौरे को बढ़ाने वाली कुछ अवस्थाएं होती है। जैसे की अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करना, बेहद तनावपूर्ण जीवन व्यतीत करना, नींद की कमी या कम सोना, अत्यधिक शारीरिक थकान, बहुत लंबे समय तक टीवी देखना या तेज़ बुखार इत्यादि हो सकते है।
जांच या निदान।
इसमें रोगी का विस्तृत शारीरिक निरीक्षण किया जाता है। खून की जांच, छाती का एक्स रे, ई.ई.जी की जांच व अन्य परीक्षण आवश्यकतानुसार कराए जाते हैं। कुछ परीक्षण निम्न है:- जैसे की ब्रेन मैपिंग, स्लीप ई ई जी, आदि भी मिर्गी की बीमारी को पहचानने में मदद करते हैं।
- ब्रेन मैपिंग, ये मस्तिष्क की विभिन्न सतहों पर कंप्यूटर की मदद से बारीकी से लिया हुआ एक चित्र समूह होता है, जो मस्तिष्क की रचना व उसके विकारों को विस्तार से दर्शा देता है।
- सीटी स्कैन अधिकतर रोगियों के दौरों को औषधि के प्रयोग से रोका जा सकता है। एक सीमित अवधि तक दौरे ना होने पर औषधियों को धीरे धीरे बंद भी किया जा सकता है। यह अवधि। सामान्यतः, तीन से पांच वर्ष तक की होती है। मिर्गी के दौरे चिकित्सकीय इलाज से ठीक हो सकते हैं। इलाज से दो तीन महीने के अंदर आम तौर पर दौरे रुक जाते हैं। इसका इलाज सस्ता व असरदार होता है। मिर्गी के मरीजों को आग की भट्ठीयों के पास न जानें की सलाह, भारी मशीनरी का प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है, ड्राइवरी व ऊँचाई पर चढ़ने से भी मिर्गी के रोगियों को बचना चाहिए। मरीज़ शादी कर सकता है, यह रोग शादी करने में बाधक नहीं होता। अपने डॉक्टर की सलाह के बिना मिर्गी की दवा खुद से कभी बंद नहीं करना चाहिए, व डॉक्टर के संपर्क में सतत बने रहना चाहिए।