उदासी, अवमनन का रोग विश्वव्यापी है और पुरातन काल से चल रहा है। अर्जुन जब इस रोग से ग्रस्त हुए तब श्रीकृष्ण जी द्वारा दृढ़ रूप से सलाह देने से छुटकारा मिला। अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन तथा इंग्लैंड के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल इस रोग से ग्रसित हुए। अवमानना डिप्रेशन का रोग सभी देशों के और सभी तरह की संस्कृति के लोगों में पाया जाता है। स्त्री और पुरुष दोनों पर असर करता है। अवमानना डिप्रेशन शब्द का प्रयोग प्रतिदिन के व्यवहार में इतना सामान्य हो गया है कि लोगों को यह समझना भी मुश्किल हो जाता है कि यह अपने आप में बिमारी है। रोगी के घर वाले एवं आसपास के लोग इस बिमारी की गंभीरता को नही समझ सकते, केवल इसका मरीज ही इसकी गंभीरता को समझ सकता है।
डिप्रेशन अवमानन के प्रकार
यह दो प्रकार का होता है
- एंडोजीनस डिप्रेशन: - ये रोग बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के अपने आप होता है।
- एक्सोजीनस डिप्रेशन : - जो इसका दूसरा प्रकार है, इसे रिऐक्टिव डिप्रेशन भी कहते हैं। यह बाहरी कारण से या किसी घटना के बाद होता है।
फैलाव
विश्व भर के लगभग चालीस करोड़ लोग इस रोग से पीड़ित हैं। भारत में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 4% लोग या तो इस रोग से पीड़ित हो चुके हैं या पीड़ित हैं। देश में होने वाले आत्महत्या के कारणों में 20% का कारण डिप्रेशन होता है।
- शराब पीने वाले हर तीसरा व्यक्ति डिप्रेशन का ही शिकार होता।
- ड्यूटी से अनुपस्थित रहने का एक मुख्य कारण भी उदासी या डिप्रेशन ही है।
- अवमनन मानसिक रोगों से इतना सामान्य है जैसे कि जुकाम की बिमारी। यद्यपि डिप्रेशन के मरीजों की संख्या अत्यधिक है, फिर भी कम लोग मानसिक रोग विशेषज्ञ की सलाह लेते हैं।
कारण
अवमनन या डिप्रेशन का कोई केवल एक कारण नहीं है। यह मुख्य रूप से तीन कारणों के मिलने से होता है,
पैतृक
मनोवैज्ञानिक
सामाजिक
मानसिक रोग दूसरी बीमारियों जैसे टाइफाइड, पीलिया आदि की तरह ही एक बिमारी है, जिसमें शरीर के किसी हिस्से में रसायनिक परिवर्तन होते हैं। अवमनन या डिप्रेशन में मनुष्य के दिमाग में रासायनिक परिवर्तन होते हैं। इन रासायनिक परिवर्तनों से डिप्रेशन के लक्षण उत्पन्न होते हैं।
पैतृक कारण
डिप्रेशन की बिमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। अवमनन या डिप्रेशन के मरीज के माता, पिता एवं बच्चों में इस रोग के होने के काफी संभावना रहती है।
मनोवैज्ञानिक कारण:-
किसी व्यक्ति का स्वभाव एवं व्यक्तित्व डिप्रेशन की बिमारी से बचाता या उसे होने में सहायता करता है। कुछ प्रकार के स्वभाव डिप्रेशन का कारण बनने के लिए महत्वपूर्ण है, जैसे कि
- वास्तविकता से अधिक इच्छा रखना।
- निराशा को सहन करने की शक्ति ना होना।
- सामंजस्य ना करने वाला कठोर स्वभाव।
- दूसरे व्यक्तियों से अच्छे व माधुर्य संबंध रखने में कठिनाई।
- पति एवं पत्नी के संबंधों में तनाव, अक्सर गलतफहमी बार बार झगड़ा होना, पिता, पुत्र,माता पुत्र में अच्छे संबंधों का न होना।
- नकारात्मक संवेदनाओं को व्यक्त न करना और अधिकतर उन्हें दबाए ररखना
- अधिकतर दूसरों में दोष ढूंढने की प्रवृत्ति।
सामाजिक कारण:-
अक्सर उदासी की बिमारी जीवन के तनावपूर्ण घटनाओं से उभरती है, इसमें से मुख्य निम्नलिखित हैं:
- किसी प्रिय संबंधी की मृत्यु, मानहानि, व्यापार में घाटा व परीक्षा में असफलता।
- नकारात्मक भावना संबंधी तनावपूर्ण घटनाएं होना।
- किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से झगड़ा।
- बच्चों का इच्छानुसार पढ़ाई या व्यापार में उन्नति ना करना।
पैतृक कारण अकेले या मनोवैज्ञानिक कारणों से मिलकर बिमारी का कारण बनते हैं और सामाजिक कारण उसे बढ़ाने में सहायता करते हैं। इस तरह डिप्रेशन का कारण, तीनो कारण मिलकर बनाते है और मस्तिष्क में रसायनिक परिवर्तन उत्पन्न करते हैं जो अब मन के लक्षणों के रूप में उभरते हैं।
मानसिक लक्षण।
- उदासी महसूस होना। घबराहट, खुशी वाली घटनाओं से मूड सही नहीं होना।
- भोजन करने आदि में रुचि न लेना।
- अपने आप को अयोग्य महसूस करना, आत्मविश्वास कम होना। (मेरे कारण दूसरों को नुकसान हो रहा है इस तरह के विचार।)
- कोई फैसला ना लें सकना ।
- आत्महत्या का विचार आना।
शारीरिक लक्षण
- वजन का अत्यधिक घटना या बढ़ना।
- अत्यधिक नींद आना या नींद का कम आना।
- थकावट, कमजोरी महसूस करना, बेचैनी बनी रहना।
अवमानन डिप्रेशन का इलाज
इन वर्षों में डिप्रेशन के इलाज से संबंधित काफी खोज हुई है और इसके आशाजनक परिणाम सामने आए हैं। आजकल डिप्रेशन का उपचार दवाई, मनोवैज्ञानिक चिकित्सा, मानसिक शांति, रिलैक्सेशन एवं ईसीटी द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
दवा के द्वारा:- डिप्रेशन का इलाज दवाइयों द्वारा काफी असरदार होता है। इसके इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की दवाइयां उपलब्ध हैं। ये दवाइयां मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन को ठीक करती है। ये नींद की गोलियों से एकदम भिन्न होती है। इनके लेने से नशे की आदत नहीं पड़ती है और ना ही यह उम्र भर लेनी पड़ती है, जैसा कि कुछ लोगों में आम भ्रांति होती है।
मनोवैज्ञानिक चिकित्सा:- जबकि दवाइयों द्वारा मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन का इलाज किया जाता है? मनोवैज्ञानिक चिकित्सा व्यक्ति को कुछ विशेष दोषपूर्ण व्यवहार, एवं सामाजिक कारण को समझने में सहायता करती है जो कि उदासी का कारण होते है। इसलिए अवमानना की बिमारी में मनोवैज्ञानिक चिकित्सा भी उतनी ही जरूरी है जितना कि दवाओं के द्वारा किया जाने वाला इलाज।
मानसिक शांति (मेंटल ररिलैक्सेशन:- मानसिक शांति के लिए मन को शांत करने का अभ्यास, डिप्रेशन की बिमारी के इलाज का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।