जब किसी बच्चे का व्यवहार, या उसकी भावनाएं एवम स्वभाव इतना असामान्य हो जाए की उससे उसकी शिक्षा ग्रहण करने में बाधा उत्पन्न होने लगे व उसके सामाजिक जीवन व संबंधों पर बुरा असर पड़ने लगे तो उसे मानसिक रोग की संज्ञा दी जाती है।
बच्चों में आम तौर पर पाई जाने वाली कुछ मनोवैज्ञानिक समस्याएं इस प्रकार है।
- व्यवहार संबंधी समस्या: जिसे बिहेवियरल डिसऑर्डर भी कहा जाता है, इसमें बच्चों में कुछ बुरी आदतें पड़ जाती हैं व इससे दूसरों को असुविधा होती है। जैसे कहना नहीं मानना, जिद करना, दूसरे बच्चो को मारना पीटना आदि। कुछ बड़े बच्चों में झूठ बोलना, चोरी करना, माता पिता व शिक्षकों के प्रति उग्र स्वभाव, संपत्ति को हानि पहुंचाना, घर से भाग जाना, धूम्रपान करना, शराब व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करना आदि बुरी आदतें पाई जाती हैं। ये आदतें जिन बच्चों में पाई जाती हैं ऐसे अधिकांश बच्चे अप्रसन्न या असंतुष्ट परिवारों से होते हैं। जिनमें माता पिता आपस में झगड़ते हों या उनमें किसी प्रकार का मनमुटाव हो। ऐसे बच्चे बड़े होने पर असामाजिक गतिविधियों में भाग लेने लगते हैं। जिससे रोजगार, विवाह संबंधी समस्या या फिर शराब व अन्य नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
- हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर इस रोग में बच्चा हर समय इधर उधर घूमता रहता है, वह कहीं भी टिक कर नहीं बैठ सकता। कक्षा में खाना खाते समय या टेलीविज़न देखते समय भी टिक नहीं सकता। अन्य लक्षण जो इन बच्चों में देखे जाते हैं उनमें, बिना कारण शोर मचाना, किसी कार्य या खेल में अपनी बारी की प्रतीक्षा न करना, किसी काम में ध्यान न लगना, अजनबी लोगों से शरारतें व छेड़छाड़ करना, अक्सर स्कूल में अपनी चीजों गुमा देना आदि लक्षण भी देखे जाते हैं। यह समस्या लड़कों में ही अधिक पाई जाती है। मंदबुद्धि बच्चों में भी यह अधिक पाई जाती है। इस रोग में बच्चे की शिक्षा व सीखने समझने जैसी बातों में बहुत कठिनाई आती है। ऊपर वर्णित दोनों समस्याएँ आमतौर पर एक साथ ही पाई जाती हैं।
- -शैय्या मूत्र (Enuresis) इस रोग में बच्चा 5 साल की आयु के बाद भी बिस्तर में पेशाब कर देता है। अधिकांशत: यह रोग मानसिक कारणों से होता है। कुछ शारीरिक कारणों से या रोगों से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है जैसे, मधुमेह, मूत्राशय का इन्फेक्शन, मिर्गी या दौरों की बिमारी आदि। लड़कों में लड़कियों की अपेक्षा यह रोग अधिक पाया जाता है। इस रोग के मानसिक कारण मुख्यतः गरीबी, घरेलू संबंधों में दरार, लापरवाही, माता पिता में मानसिक रोग होना, घर से दूर किसी संस्था में रहना, आदि इसके कारण हो सकते हैं। जिन परिस्थितियों में बच्चों में असुरक्षा की भावना आ जाती है, वह भी इस रोग का कारण हो सकते हैं। इस रोग के कारण बच्चे के सामाजिक व भावनात्मक विकास पर बुरा असर पड़ सकता है। वह शर्म, आत्मग्लानि और हीन भावना का शिकार होने लगता है।
इसका समाधान या इलाज क्या है?
बच्चे के माता पिता व बच्चे से उसकी तकलीफ के बारे में विस्तार से जानकर। जैसे जीवन की घटनाओं से कोई संबंध, घर या स्कूल में किसी प्रकार के प्रतिकूल वातावरण की जानकारी प्राप्त करके उसका समाधान किया जाता है। सामान्य चिकित्सकीय जांच व पेशाब की जांच करके भी रोग के कारण का पता लगाया जा सकता है।