यह बिमारीयां सबसे अधिक पाई जाने वाली किंतु कम गंभीर मानसिक रोग का प्राकार होती हैं। इसमें व्यक्ति का वास्तविकता से संपर्क बना रहता है। आम तौर पर वह अपनी दिनचर्या का काम व दायित्व पूरा करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं होता, अक्सर यह रोग व्यक्ति के जीवन में किसी दुखद घटना के बाद होता देखा जाता है जिससे उसको चिंता, परेशानी व मानसिक तनाव होने लगता है। व्यक्ति बाहर से बिल्कुल सामान्य या मामूली रुप से अस्वस्थ दिखाई देता है, लेकिन अंदर से रह आपको अपने आप को शारीरिक व मानसिक रूप से अस्वस्थ मानता है।
साइकोसोमैटिक मनस्ताप के प्रकार।
1:- 1:- घबराहट, जिसे हम एंजाइटी न्युरोसिस भी कहते ह : इसमें व्यक्ति को चिंता, घबराहट, डर, शंका, तनाव, पसीना आना, शरीर में कंपन, नींद न आना, बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
2:- हृदयगति का तेज होना जिसको कार्डिएक न्यूरोसिस भी कहते है। : इसमें मरीज को यह शंका रहती है क्या मुझे हार्ट अटैक पड़ रहा है, या पड़ सकता है, लेकिन वास्तव में ये हार्ट अटैक नहीं होता। छाती में दर्द होने, घबराहट होने पर, ई.सी.जी करने के बाद जब नॉर्मल रिपोर्ट आती है तो पता चलता है की यह हार्ट का दर्द दिमाग में टेंशन की वजह से था। 3:- पेट में तेजाब जो गैस्ट्रिक न्युरोसिस भी कहलाता है।
3:- पेट में तेजाब जो गैस्ट्रिक न्युरोसिस भी कहलाता है। : इसमें रोगी का अल्ट्रासाउंड गैस्ट्रोस्कोपी, एंडोस्कोपी के आलावा बाकी पैथोलॉजी के अन्य टेस्ट बार बार नॉर्मल होने पर भी, पेट संबंधी शिकायतें बनी रहती है। लक्षण, जैसे कि पेट में तेजाब बनना, पाचन शक्ति कमजोर होना, बार बार दस्त लगना आदि लक्षण भी मन: स्ताप रोग से संबंधित होते हैं।
4:- भय जिसको जनरलाइज्ड एंजाइटी डिसऑर्डर भी कहते हैं, व बढ़े हुए रुप को फोबिया भी कहते हैं। : इसमें रोगी को बिना किसी कारण किसी वस्तु या विशेष स्थान से डर लगता है। जैसे उँचाई पर जाने का डर, भीड़ में जाने से डर, कुत्ते या अन्य किसी जानवर से डर, अंधेरे से डर, कैंसर होने का डर, आदि देखे जाते हैं।