कुछ लोगों की धारणा है कि शराब के सेवन से मानसिक तनाव दूर होता है और शरीर में चुस्ती आती है, भूख अच्छी लगती है व आप बिना किसी घबराहट के लोगों से बात कर सकते हैं। परन्तु अब यह सिद्ध हो चुका है कि प्रत्येक 10 में से दो व्यक्ति, जो सामाजिक कारणों से शराब पीते हैं, वे इसकी लत का शिकार हो जाते हैं। शराब की लत एक ऐसा रोग है जिसका इलाज दवा व मनोवैज्ञानिक तरीके से संभव है।
नशे की प्रवृत्ति से व्यक्ति के जीवन, जैसे कि सामाजिक संबंध, उसकी आर्थिक स्थिति, शरीर व मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है जिससे अन्य समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती है, और व्यक्ति की दुर्दशा हो जाती है। शराब का नशा करने वाले को शराब उचित मात्रा या नियमित ढंग से देने का कोई लाभ नहीं। इलाज से लंबे समय तक शराब न पीने के बाद भी, अगर व्यक्ति थोड़ी सी भी मात्रा में शराब पी लेता है तो कुछ ही दिनों में उसे फिर से शराब पीने की आदत पड़ जाती है। अतः कहना चहिए कि यह एक स्थायी रोग है, व केवल इसे पूरी तरह से छोड़ देने से ही इसका इलाज संभव है।
इसके इलाज के लिए मरीज को पहले दवाइयां आदि दी जाती है, ताकि वह बिना किसी तकलीफ के शराब पीना बंद कर दें। तत्पश्चात व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक चिकित्सा, जिसको साइकोथेरपी कहते हैं, वह भी दी जाती है ताकि वह शराब की आवश्यकता महसूस किए बिना ही एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकें।
शराब के नशे के शिकार व्यक्ति में पाए जाने वाले लक्षण।
इनको तीन अवस्थाओं में बांटा गया है।
- आरंभिक अवस्था, शराब की मात्रा में वृद्धि: 1-यह शराब का नशा आरंभ होने का प्रथम संकेत है। पहले एक दो बार पीने से जो तथाकथित आनंद महसूस होता था, बाद में उतना ही आनंद प्राप्त करने के लिए और अधिक मात्रा में शराब की आवश्यकता होने लगती है। यानी की पहले जो असर शराब के केवल दो पैग पीने से होता था, बाद में उतना ही असर प्राप्त करने के लिए चार या पांच पैग शराब की आवश्यकता होने लगती है।
- शराब के असर के दौरान हुई घटनाओं का याद न रहना इसको अल्कोहोलिक ब्लैकआउट भी कहते हैं। यह कोई बेहोशी की अवस्था नहीं होती, बल्कि इसमें शराबी व्यक्ति को शराब के असर के दौरान हुई घटनाएं याद नहीं रहती। शराब के असर के दौरान व्यक्ति सामान्य दिखाई देता है। सामान्य रूप से चल सकता है, बात कर सकता है, लेकिन बाद में उसे कुछ याद नहीं रहता कि पीने के बाद उसने क्या किया।
- सदैव शराब पीने का विचार रखना। व्यक्ति हमेशा यह सोचता रहता है कि उसे कहाँ से और कब शराब पीने को मिलेगी।
- मुझे किससे शराब खरीदने के लिए पैसा उधार मिल सकता ह रोगी चाहता है कि दिन जल्दी से गुजर जाए ताकि वह शाम को शराब पी सके, वह यह भी सोचता है कि कभी जो भी व्यक्ति उससे मिलने आए हैं, काश वे कब जल्द से जल्द चले जाएं, ताकि वह आराम से बैठकर शराब का सेवन कर सके। यदि कोई मित्र या उसकी ही पत्नी, उसकी पीने की आदत के बारे में बात करें, तो वह इस विषय से बचने की कोशिश करता है और ना ही इसके बारे में कोई भी बात करता है।
- बीच की मध्यम अवस्था। संयम या कंट्रोल में न रहना। इस अवस्था में शराब की मात्रा पर कंट्रोल नहीं होता। बाद में जैसे जैसे यह बिमारी बढ़ती जाती है, व्यक्ति शराब पीने के समय, स्थान व अवसर आदि के बारे में भी नहीं सोचता।
- शराब पीने की आदत को उचित ठहराना। व्यक्ति अपनी शराब पीने की आदत को उचित ठहराने के लिए इस प्रकार की दलीलें देता है, जैसे की नाखुश वैवाहिक जीवन, दफ्तर में अधिक काम का बोझ, आर्थिक समस्याएं, मित्रों की ओर से पीने का दबाव आदि। इस प्रकार वह अपनी अपराध भावना व पछतावे को कम करने की कोशिश करता है।
- ऊंची ऊंची बातों का दिखावा करना इसमें रोगी अपने आप को बड़ा दिखाने की कोशिश करता है।वह अक्सर इस तरह का दावा करने लगता है कि उसके बिना विभाग का काम नहीं चल सकता। इसके अलावा वह परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए पैसे खर्च करना नहीं चाहता परन्तु खुद के ऊपर वह खूब व्यय करता है जैसे, ऑटोरिक्शा आदि में यात्रा करना, खूब मिठाइयाँ व खाने पीने पर खर्च करना,सिगरेट आदि के पैकेट खरीदने पर खर्च करना, इसी तरह के अन्य खर्च भी वह बहुत ज्यादा करने लगता है। ऐसी स्थिति में एक शराबी के लिए स्वास्थ्य संबंधी, पारिवारिक, व दफ्तर में समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। उसकी पत्नी उसे छोड़कर जाने की धमकी भी देने लगती है। दफ्तर से भी नौकरी से हटाए जाने की चेतावनी मिल सकती है।
- अंतिम व क्रोनिक अवस्था। इसमें रोगी प्रत्यक्ष रूप से अस्वस्थ नजर आने लगता है। वह शारीरिक, मानसिक व सामाजिक पतन की अवस्था में दिखाई पड़ता है। शराबी व्यक्ति लगातार कई दिन तक शराब पीता रहता है तथा किसी अन्य गतिविधि में भाग नहीं लेता। एक बार पी लेने के पश्चात अंदर से हिल जाता है और डरने लगता है, वह दोबारा ना पीने का संकल्प भी लेता है परंतु ऐसा ही बार बार होता जाता है।
- नैतिक पतन की अवस्था। शराबी व्यक्ति अंत में झूठ बोलने लगता है, घर की चीजें चुराने व उधार लेने जैसी हरकतें करने लगता है, ताकि वह किसी भी प्रकार शराब प्राप्त कर सके। किसी बाहरी स्त्री के साथ संपर्क व संबंध भी इनमें बहुतायत में देखने को मिलते हैं।
क्या इसका इलाज संभव है? इसका जवाब है, हाँ
मेडिकल व साइकोलॉजिकल इलाज, डी- एडिक्शन से वह व्यक्ति शराब छोड़कर एक अच्छा जीवन व्यतीत कर सकता है। शराब के नशे का इलाज किसी भी अवस्था या स्टेज पर हो सकता है। यदि शुरुआत में ही कोशिश की जाए तो इलाज आसान होता है व इसके परिणाम बेहतर होते हैं। नशामुक्ति केंद्र, पुनर्वास या रिहैबिलिटेशन भी इसमें पूर्ण रुप से कारगर हैं।